भूमिका
टेलीविजन अपने शुरुआत से ही आकर्षण का केंद्र बना रहेगा ! समाचार पत्र और रेडियो
को पीछे छोड़ते हुए टेलीविजन ने सूचना, शिक्षा व मनोरंजन के
क्षेत्र में जो सोहरत हासिल किया हैं. इतने कम समय में किसी भी संचार माध्यम के
लिए ये संभव नही था ! टेलीविजन कार्यकर्मो ने जनमानस के विजन को जो बहुरंगी आयाम
दिया हैं, वह मनोरंजन, सूचना व शिक्षा जगत के लिए किसी करिश्मे से कम नही हैं ! टेलीविजन के
विजन ने जनमानस के अन्दर नए सोच का सृजन किया हैं ! यह सृजन टेलीविजन कार्यक्रमो
का परिवर्तित व परिवर्धित रूप हैं ! टेलीविजन वह दृश्य – श्रव्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जिसके जरिये शुचना शिक्षा तथा मनोरंजन
संबंधीत कार्यक्रम का प्रसारण व्यापक मिश्रित जनसमूह तक संभव बनाया जाता हैं !
टेलीविजन शब्द की उत्पति टेली व विजन दो शब्दों से मिलकर हुई हैं ! टेली – दूर, विजन – देखना अर्थात् दूर की
चीजो को पास से देखने का माध्यम ही टेलीविजन हैं ! टेलीविजन कार्यकमो की शुरुआत
आजादी से पूर्व हमारे देश में टेलीविजन एक सपने जैसा था ! 15 सितम्बर 1959 को ये सपना सच हुआ !
राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने दिल्ली में दूरदर्शन सेवा का विधिवत् उद्घाटन
किया ! दूरदर्शन के प्रारंभिक कार्यक्रम एक घंटे के होते थे जो सप्ताह में दो बार
मंगल बार व शुक्रवार को प्रसारित किये जाते थे ! जहा समाजिक, शिक्षा व कृषि जैसे
कार्यक्रम प्रसारित किये जाते थे, टेलीविजन कार्यक्रम प्रसारण के क्षेत्र में दूरदर्शन ने एक कदम और
बढाया ! रंगोली तथा चित्रहार जैसे कार्यक्रमो ने टेलीविजन को और विस्तार दिया ! 15 अगस्त 1982 को दूरदर्शन पर 90 मिनट का रास्ट्रीय कार्यक्रम प्रारंभ किया गया ! यह कार्यक्रम कालान्तर
में रात्रि 8:30 बजे से देर रात तक
प्रसारित होता रहा, जिसमें समाचारों व धारावाहिकों के अतिरिक्त सामयिक विषयों से जुड़े
कार्यक्रम, संगीत के विविध कार्यकर्म, वृतचित्र, कवि सम्मलेन, मुशायरा आदि कार्यक्रम प्रमुख थे ! 7 जुलाई 1984 का दिन दूरदर्शन के
इतिहास में विशेष महत्व रखता हैं ! इस दिन दूरदर्शन के पहले धारावाहिक ‘हम लोग’ का प्रसारण प्रारंभ
हुआ ! 15 अगस्त, 1984 को यू. जी. सी. के
सहयोग से विश्वविद्यालय के छात्रो के लिए एक घंटे का शैक्षणिक प्रसारण किया गया !
टेलीविजन ने जनता में अपार लोकप्रियता अर्जित कर ली ! सप्ताह में दो बार चित्रहार, रविवार की फिल्म, हम लोग, खानदान, ये जो हैं ज़िन्दगी, बुनियाद, रजनी, भारत एक खोज, विक्रम और बेताल, मुंगेरीलाल के हसीं
सपने, रामायण, महाभारत आदि
धारावाहिकों ने टेलीविजन को मध्यम वर्ग की जरूरत बना दिया ! वही 1992 में केवल प्रसारण की शुरुआत के साथ ही CNN, ZEE, STAR, BBC, SAHARA, SONY,
DISCOVERY, DD1, के
रास्ट्रीय और अंतररास्ट्रीय व कुछ – कुछ क्षेतीय चैनलों
समेत लगभग 70 – 80 चैनलों ने समाचर, आर्थिक, खेल, धारावाहिक, सिनेमा, धार्मिक, विज्ञान, संगीत, कार्टून चैनलों की एक
नै दुनिया में हमें ला खड़ा किया ! वही डीजीटल ट्रांसमीटर के प्रक्षेपन ने DDH सेवा प्रदान किया ! यह DDH प्रसारण सेवा की देंन
हैं की हम 200 से भी अधिक चनैल एक
छोटे से सेटअप बॉक्स के जरिये टेलीविजन पर देख पाते हैं ! साथ ही इंटरैक्टिव टी.वी
व इंटरैक्टिव टी.वी कार्यक्रमो का एक अवसर प्रदान किया हैं ! जहा अपने मन पसंद के
कार्यक्रमो को रिकॉर्ड कर फ्री समय में देखने की सुबिधा दी जा रही हैं ! टेलीविजन
के विभिन्न कार्यक्रमो में बदलाव : एक नजर प्रारंभ में दूरदर्शन पर 5 मिनट और 10 मिनट के समाचार
बुलेटिन दिखाए जाते थे, जहाँ खबरों को साहित्यिक भाषा में प्रस्तुत किया जाता था ! तथ्यों में
छेड़ – छाड़ किये बिना खबरों
को सीधे – साधे शब्दों में
प्रस्तुत किया जाता था ! रास्ट्रीय प्रसारण शुरु होने से पहले तक क्षेत्रीय
कन्द्रो से प्रसारित होने वाले समाचारों में छायांकित अंश कम होते थे, और टेलीविजन बुलेटिन, रेडियो की खबरों जैसा
ही रहता था ! खबरों के नाम पर वह वही परोसता था जो सरकारी ताने – वाने की निर्धारित परिपाटी के अनुरूप था ! टेलीविजन समाचार कार्यक्रमों
में हिंसा, दंगे व अपराध जगत की खबरे नही दिखाई जाती थी ! यदि दिखया भी जाता था तो
उसे बिना चलचित्र व सीधे – साधे शब्दों के साथ
प्रस्तुत किया जाता था ! बदलते परिदृश्य के साथ कार्यक्रम प्रस्तुति की सीमा भी
बढ़ी ! अब समाचार बुलेटिन की प्रस्तुति की समय सीमा 30 मिनट व 1 घंटे के समाचारो में
बदल चुकी थी ! अब हम समाचारो को देखने के लिए केवल दूरदर्शन और DD न्यूज पर निर्भर नही थे ! 21 वे सदी के शुरूआती
वर्षो में समाचार मीडिया के परिदृश्य पर इस बदलाव का असर दिखने लगा, NDTV,
AAJ TAK, STAR NEWS, SAHARA, ZEE NEWS जैसे 24 घंटे के चनैल बाजार
में उतर आए, इन चैनलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती दर्शको को अपने चैनल से बंधे रखना था
! ऐसे में दर्शको का मन टटोलने का मुहीम सुरु हुई, बहुत जल्द ही ये समझ
में आये की दर्शको को अगर फ़िल्मी मसलो जैसी खबरे परोसी जाये तो दर्शोको को चैनल से
बांधे रखन काफी आसन हैं ! वही वीडियो के साथ साहित्यिक भाषा के साथ सामजस्य बैठाना
भी काफी कठिन हुआ करता था ! जिसका निदान समाचार चैनलों को फ़िल्मी तारक भरक भाषाओं, सरल व प्रचलीत हिंदी
भाषाओ में दिखा ! अपराध जगत की खबरों के ऊपर लोगो का अधिक जुड़ाव देखकर मीडिया
चैनलों ने अपराध जगत को भी अब अपने बुलेटिन में लगाने की प्रथा शुरू किया ! बदलते
जनमानस के मिजाज के साथ टी.वी. चैनलों ने अब तारक – भरक वाली खबरों, अपराध जगत की खबरों, सनसनी फैलानो वाली खबरों, खेल जगत, फिल्म जगत, मनोरंजन जगत, और आज तो धारावाहिक, व हास्य कार्यक्रमो के कुछ एपिसोडो में संपादन व मिर्च मसाला लगाकर
परोसना सुरु कर दिया हैं, जैसे आज तक पे आने वाली “सास बहु और बेटीया”, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं ! आज तो राशी फल, वास्तुशात्र, धार्मिक यात्राओ के
कार्यक्रम भी दिखाए जा रहे हैं ! वही राजनीत का सबसे अधिक हस्तक्षेप न्यूज चैनलों
में हुआ हैं ! आज हरेक खबरों को सनसनी व एक्सक्लूसिव कर के दिखाया जा रहा हैं !
परिचर्चा कार्यक्रम परिचर्चा कार्यक्रम आकशवाणी और दूरदर्शन की देंन हैं ! आज सभी
न्यूज़ चैनलस समसामयिक घटनाओ, राजनितिक घटनाओ, पर परिचर्चा का आयोजन कर रहे हैं ! आज परिचर्चा का स्वरूप समसामयिक
विशेष, विषय
पर व अपवादित व्यानो पर हंगामे के साथ खत्म होता हैं ! जहां परिचर्चा में सामिल
राजनीतिक या आमंत्रित अतिथि, अमर्यादित शब्दों का प्रयोग कर रहे है ! जिसे न्यूज चैनलों ने बढती TRP की नजर से देखन शुरू कर दिया हैं ! वही इसे परे आज संगीत, फिल्म चैनलों व न्यूज
चैनलों ने भी संगीत लौन्चिंग और के फिल्म लौन्चिंग पर स्टूडियो में परिचर्चाओ का
आयोजन फिल्म के निर्माता, निर्देशक, अभिनेता, अभिनेत्री के साथ कर रहा हैं, जो TRP व फिल्म प्रमोशन का एक बड़ा प्रचलन बन कर उभरा कर हैं ! वही लाइव खेल
कार्यक्रमों के दौरान भी लाइव परिचर्चाये खेल विशेषज्ञ व पूर्व खिलाडियों के साथ
किया जा रहा हैं ! वार्ता कार्यक्रम वार्ता कार्यक्रम भी दूरदर्शन और आकाशवाणी की
ही उपज हैं ! आज प्राय सभी न्यूज़ चैनल किसी विशेष अवसर पर वार्ता का आयोजन कर रहे
हैं, आज
राजनितिक जगत के लोग ऐसे वार्ताओ में जयादा दिख रहे हैं ! वही खेल चैनलों, फिल्म चैनलों व आज तो
विज्ञापनों को भी वार्ता के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा हैं ! जैसे मोबाइल फ़ोन, कपड़ो, आयुर्वेदो, सौन्दर्य वस्तुओ आदि
पर वार्ताए प्रस्तुत किये जा रहे हैं ! यह वार्ता का बदलता सवरूप ही हैं !
साक्षत्कार साक्षत्कार टेलीविजन समाचार माध्यमो में आज बहुत प्रमुखता से दिखया जा
रहा हैं ! बड़े राजनीतिज्ञ, बड़े अभिनेता, प्रतिष्ठित व्यक्तियों से सम्बंधित साम्समयिक विषयों पर या इनके जीवन
के उपलब्धियों से जुड़े, छिपे हुए पहलुओ को साक्षत्कार के जरिये दर्शको तक पहुचाया जाता हैं !
साक्षत्कार स्वयं एक खबर भी हैं, जिसके जरिये अपवादित समसय्मिक विषयों के छुपे हुए तथ्यों को साक्षत्कार
के समय प्रश्नों के जरिये ही उद्घाटित किया जाता हैं ! लेकिन आज साक्षत्कार का
स्वरूप बदलता नजर आ रहा हैं ! साक्षातकर्ता आज स्टूडियो में आये महमानों पर हावी
होता जा रहा हैं ! कटु प्रश्नों के जरिये इसे साक्षत्कार करता ही नही वल्कि
टेलीविजन समाचार चैनलों की मर्यादा धूमिल होती जा रही हैं, यह सब मामूली TRP के लिए किया जा रहा हैं ! आज नाटकीयता से साक्षत्कार को दर्शको तक
प्रस्तुत किया जा रहा हैं ! इंडिया टी.वी. पर आने वाले साक्षत्कार कार्यक्रम “आपकी अदालत” को उदाहरण स्वरूप ले
सकते हैं ! संगीत कार्यक्रम संगीत कार्यक्रमों की शुरुआत दूरदर्शन पर आने वाले
चित्रहार और रंगोली कार्यक्रमों से देखते हैं ! उन दिनों यह बहुत ही लिकप्रिय हुआ
करता था, पुराने
सदाबहार गीतों के साथ महिला उद्घोषिका शब्दों के जरिये कार्यक्रमों की उद्घोषणा व
दर्शको के भेजे पत्रों को सुनती थी, व आज भी एक इतिहास हैं ! आज संगीत कार्यक्मों के प्रसारण का स्वरूप
बदला नजर आता हैं ! आज पत्रों के वजाय मोबाइल मेसेज व इन्टरनेट के जरिये भी सोंगस
सुनाने का डिमांड किया जा रहा हैं ! आज तो फेसबुक का भी प्रचलन काफी देकने के मिला
रहा हैं फ्फसबूक के माध्यम से सोंग्स की मांग व अपने दोस्तों तक पंहुचा कर किया जा
रहा हैं जिसे संगीत चैनल के स्क्रोल पर फ़्लैश किया जा जाता हैं !उदाहरण सवरूप ये
प्रमुख चैनल हैं – 9XM, ETC
MUSIC, SONY MUSIC, ZEE ETC, V MUSIC, इत्यादि हैं ! वही सदाबहार संगीतो के वजय आज आइटम सोंग्स, न्यू रिलीज सोंग्स, की डिमांड के अनुरूप
संगीत प्रस्तुत किया जा रहा हैं ! फिल्म कार्यक्रम फ़िल्मी कार्यक्रमों की शुरुआत
भी दूरदर्शन की ही देंन हैं, फ़िल्मी कार्यक्रम तो आज भी दूरदर्शन पर रात 9बजे शुक्रवार व
शनिवार को दिखाया जाता हैं , वही रविबार को इसका
प्रसारण 12 बजे से आता हैं !
फ़िल्मी कार्यक्रमों के प्रति बढती मांगो को देखकर दर्जनों हिंदी चैनल दर्शको के
बिच उतर आये ! जो 24 घंटे सिर्फ पुराने ही
नही वल्कि न्यू रिलीज फिल्मे भी प्रस्तुत की जा रही हैं ! अब देश की ही नहीं वल्कि
विदेशी भाषाओं की फिल्मो की बढती मांगो को देखकर हिंदी डबिंग कर के प्रस्तुत किया
जा रहा हैं ! आज हिंदी ही नही अंग्रेज़ी के कई चैनल आ चुके न जो अंग्रेज़ी में
प्रोग्राम प्रस्तुत करते हैं, यह भारतीय मूल के लोगो को अंग्रेज़ी सिखने के भी कम आया हैं ! आज तो
दर्शको की मांग पर न्यू रिलीज फिल्मे भी देखना भी संभव हो पाया हैं ! खेल
कार्यकर्म वर्तमान समय में हम खेल कार्यक्रमों के लिए हमें दूरदर्शन पर आश्रित नही
हैं ! दर्जनों 24घंटे के खेल चैनलों के आने से आज हम केवल लाइव प्रसारित होने वाली खेल
कार्यक्रमों को ही नही देख सकते वल्कि उसे रिकॉर्ड कर के भी देखा जा सकता हैं इसके
अलावे हम हाईलाइट भी देख सकते हैं ! वही दुनिया के हर खेल को घर के छोटे टेलीविजन
पर देखना संभव हो गया हैं ! जिसे अपनी पसंद की भाषा में देख सकते हैं ! वही
कार्यक्रम के दौरान इन चनलो से पूछा जाने वाले प्रश्नो के सही जबाब पर दर्शको को
इनाम भी दिए जा रहे हैं ये खेल कार्यकर्मो की ही दिन हैं ! हास्य कार्यक्रम पहले
आधे घंटे के हास्य कार्यक्रमों के जरिये दर्शको के घरो में हास्य से भरपूर
मनोरंजनात्मक कार्यक्रम प्रस्तुत कर दर्शको को गुदगुदाया जाता था ! पूर्व में
दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला कार्यक्रम हम पांच, वर्तमान में कलर्स पर
आने वाला “कॉमेडी नाईट विथ कपिल” इसके उदाहरण हैं ! व सब टी.वी. पे आने वाला हास्य कार्यक्रम “तर्क मेहता का उल्टा
चश्मा, FIR हास्य कार्यक्रम इसके उदाहरण हैं, आज तो 24 घंटे प्रसारित होने वाले चैंनल भी आ चूके हैं ! जिसमे सब टी.वी. का नाम
अग्रणी हैं ! इस तरह हास्य कार्यकर्मो में एक बहुत बड़ी बदलाव देखने को मिला हैं !
धारावाहिक कार्यक्रम धारावाहिक कार्यक्रमों का शुरुआत दूरदर्शन पर प्रसारित होने
वाले कार्यक्रम “हम लोग” से देखते हैं ! जहां इस कार्यक्रम के जरिये समाज के दर्पण को सीधे – शब्दों में नाटकीयता के जरिये प्रस्तुत किया जाता था ! जैसे- हम पांच, बिक्रम बैत्तल, शक्तिमान जैसे
धारावाहिक कार्यक्रमों ने मनोरंजन जगत में एक इतिहास कायम किया ! धारावाहिक की ओंर
दर्शको के बढते झुकाव को देखते हुए मनोरंजन जगत के 24घंटे प्रसारित होने
वाले चैनल आज हमारे बिच एक मिसाल बन कर उभरे हैं ! आज कार्यक्रमों का स्वरूप भी बदला
हैं ! आज कार्यक्रमों के जरिये ही वेस्टन कल्चर और वेस्टन फैसन को प्रस्तुत किया
जा रहा हैं ! बदलते टेलीविजन कार्यक्रमों का जनमानस पर प्रभाव जनमानस के बदलते
मिजाज के साथ कार्यक्रमों में व्यापक वदलाव देखने को मिली ! अधिक से अधिक जनता को
आकर्षित करने व अधिक से अधिक धन कमाने की लालसा में प्रसारक टेलीविजन कार्यक्रमों
के जरिये अश्लीलता परोसने से भी नही चुक रहे हैं ! वेस्टर्न कल्चर और वेस्टर्न
फैशन ने आज भारत के सभ्यता को भी विलुप्त होने के कगार पर ला खड़ा किया हैं ! वही
धारावाहिक कार्यक्रम में तलाक़, दोहरी शादी, सास बहु के झगडे आज घर – घर के झगडे बन गए हैं, ये सामाजिक अस्थिरता
धरावाहिक कार्यक्रमों के बदलते स्वरूप के कारण ही देखने को मिल रहा हैं ! वही
समाचार परिपेक्ष्य में राजनीत, पैड न्यूज़, बनावटी समाचार कार्यक्रम, पैड कार्यक्रम, हरेक खबरों को सनसनीखेज बनाना, सनसनीखेज ब्रकिंग
न्यूज़, व
झूठे स्टिंग, समाचार चैनलों के लिए सस्ती TRP के मुख्य हथियार बन
चुके हैं यह टेलीविजन कार्यक्रमों के बदलते स्वरूप की ही देंन हैं !
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